ब्रह्माण्ड में हर ग्रह की अपनी एक दशा और चाल है | चूँकि हमारा शरीर भी एक भौतिक वस्तु है | अतः हमारा शरीर भी ग्रह की तरह सब काम स्वयम कर रहा है |
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नवारंभः - एक नई शुरुआत
आइये एक बार फिर से शुरुआत करते हैं | जहाँ पर छोड़ा था वहीं से आगे बढ़ते हैं ||
नवीनतम लेख
कर्म-योग और विज्ञान-2
कण-कण में भगवान बसते हैं तो क्या अध्यात्म परमाणु यानि Atom के बारे में जानता था ? परमाणु कभी मरता नहीं है तो फिर हमारी मृत्यु कैसे हो जाती है ?
आगे पढ़ें ..........कर्म योग और विज्ञान
कोई वस्तु या चित्र देख मुँह से अनायास ही निकल जाता है कि किसने बनाया है तो फिर इस ब्रह्माण्ड के रचियता को कैसे भूल जाते हो | इसका रचियता भी तो होगा |
आगे पढ़ें ..........कभी भूल कर भी न कहें या सोचें ?
आपने कभी सोचा कि हम जिस काम या बात या सोच को ‘न’ करने की सोचते हैं उतना ही उस काम या बात या सोच को क्यों जाने-अनजाने करते चले जाते हैं ?
आगे पढ़ें ..........तंत्र-आध्यात्म-मनोविज्ञान – 3
तंत्र योग है और इससे भी बढ़ कर पूरे का पूरा विज्ञान है | इसे धर्म से जोड़ कर न देखे | हम विज्ञान को धर्म से नहीं जोड़ते वैसे ही इसे भी नहीं जोड़ना चाहिए |
आगे पढ़ें ..........प्रेम, ध्यान, डर और सम्बन्ध
मीरा और राधा का प्रेम सच्चा प्रेम था | आप उसे इकतरफा प्रेम भी कह सकते हो | उनका प्रेम यदि अमर हो सकता है तो आपको सच्चा प्रेमी क्यों नहीं मिल सकता ?????
आगे पढ़ें ..........तंत्र-आध्यात्म-मनोविज्ञान – 2
तंत्र की एक शाखा : ‘विज्ञान भैरव तंत्र’ में ‘ध्यान’ करने के बहुत आसान तरीके बताये गए हैं जिसे आध्यात्म और मनोविज्ञान में पिरो कर पेश करेंगे |
आगे पढ़ें ..........तंत्र-योग 1
तंत्र की मूल दृष्टि यह है कि पूरा ब्रह्माण्ड एक है | आज का विज्ञान कहता है कि हम सब 99.99 प्रतिशत atom से बने हैं और ब्रह्माण्ड भी ऐसा ही है |
आगे पढ़ें ..........बेमतलब का रिश्ता
आज लगभग हर रिश्ते में चाहते न चाहते हुए भी खिंचाव या दरार आने लगी है | यह खिंचाव या दरार क्यों और कैसे पनपती है और इसका क्या हल है ? आइये जानें..
आगे पढ़ें ..........नवरात्र – 2
दोस्तों, एक बात याद रखिये कि आप शक्ति से सम्पर्क साधना चाहते हैं | आप अपने अंदर और आस-पास positivity लाना चाहते हैं | शक्ति को आप में कोई interest नहीं है |
आगे पढ़ें ..........नवरात्र – 1
रोजमर्रा की जिन्दगी में लगभग हम सब कुछ शरीर से बाहर करते हैं और नवरात्र में भी वही करते हैं | आइये इस नवरात्र से कुछ नया शुरू कर आगे बढ़ते हैं...
आगे पढ़ें ..........रहस्यमय ज़िन्दगी
आपको सुंदर और अच्छे रैपर में लिपटा गिफ्ट, पहली बार मिला व्यक्ति, सस्पेंस वाली फिल्म या कहानी क्यों उत्साहित करती हैं ? आइये इसी सोच पर आधारित कहानी पढ़ते हैं |
आगे पढ़ें ..........सबक तो सिखाना होगा
प्रेम में झूठे वादे करना या बहुत समय बाद अचानक सच्चाई बता कर अलग हो जाना धोखा है इसमें कोई शक नहीं | ऐसे लोगों को सबक जरूर सिखाना चाहिए |
आगे पढ़ें ..........नजरिया अपना-अपना
बहुत बार लक्ष्य तो आप ठीक चुनते हैं लेकिन रास्ता दूसरों को देख कर अपनाते हैं जिस कारण आपको लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती | आइये इस सोच पर आधारित कहानी पढ़िए |
आगे पढ़ें ..........शेर की तरह जीना सीख लिया
शरीरिक और मानसिक बल की भी एक सीमा है और हम यदि अपनी सीमा पहचान कर आगे बढ़ते हैं तो हमारी उड़ान असीमित हो जाती है | इसी सोच पर आधारित ये कहानी पढ़िए |
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