बस यूँ ही -6

हजारों प्रश्न उठ सकते हैं

तेज बहती नदी में कूदने से पहले

लेकिन

कूदने के बाद कभी प्रश्न उठा

कि क्या मैं भीग गया हूँ, क्या मैं तैर सकता हूँ

क्या मैं किनारे तक पहुँच पाऊंगा

फिर कर्म करने के बाद प्रश्न

उठने का क्या मतलब निकालें 

ज़िन्दगी भी समय की रफ्तार से

बहती या भागती ही जा रही है

यहाँ किया छोटे से छोटा काम

कर्म की श्रेणी में आता है

पल्क झपकने से लेकर

भक्ति और प्रेम करने तक

अब जनाब आप ही फैसला करें

कि प्रश्न आखिर क्यों उठा