अब साँस की वह विधि बताते हैं जिस से आपका अधिक सोच, गुस्सा, अनिद्रा और अन्य प्रकार की मानसिक और शरीरिक बिमारी से पीछा छूट जायेगा और ध्यान भी लगेगा |
आगे पढ़ें ..........
लेख
ध्यान-योग
आइये मैडिटेशन सीखें -3
जब मैडिटेशन के लिए बैठते हैं तो पहले शरीर और फिर अवचेतन मन आपको परेशान करता है | हमें अवचेतन मन के पार जाना होता है और ज्यादात्तर यही अटक जाते हैं |
आगे पढ़ें ..........आइये मैडिटेशन सीखें – 2
वह इंसान जो वर्तमान में रहते हैं | जिन्हें कोई मानसिक बिमारी या शरीरिक बिमारी नहीं है | केवल वह ही मैडिटेशन सीधे तौर पर शुरू कर सकते हैं या करना चाहिए |
आगे पढ़ें ..........आइये मैडिटेशन सीखें -1
इन सब से अलग हमारे आज के निजी जीवन में ध्यान का अर्थ हर किसी के लिए अलग है | कुछ ध्यान का अर्थ मन को शांत करना मानते है... यह जानते हुए कि.....
आगे पढ़ें ..........विज्ञान भैरव तंत्र क्या है ????
विज्ञान भैरव तंत्र में बताई गई 112 विधि उनके लिए हैं जो शरीर के रास्ते ध्यान लगाना चाहते हैं | जो प्रेमी हैं उनके लिए प्रेम ही ध्यान मार्ग है |
आगे पढ़ें ..........तंत्र – प्रेम और सेक्स
तंत्प्रेर कहता है कि प्रेम स्वयम ही ध्यान है जिससे ईश्वर तक खिंचे चले आते हैं | शरीर की जरूरत केवल उन्हें है जो प्रेम को जगाने में असफल हैं |
आगे पढ़ें ..........तंत्र-मन्त्र-यंत्र
वजन शून्य – ध्यान विधि-2
वजन-शून्य होने पर आपका, सोच से भी पीछा छूट जाता है क्योंकि वह भी शरीर का हिस्सा है और अब आपका शरीर आपके साथ नहीं है | बल्कि अब आप आत्मा के साथ हैं |
आगे पढ़ें ..........वजन शून्य – ध्यान विधि-1
वजन-शून्य होने पर आपका, शरीर और सोच दोनों से सम्बन्ध टूट जाता है | ध्यानावस्था में शरीर और सोच ही सबसे बड़े बाधक है और अब आपका शरीर आपके साथ नहीं है |
आगे पढ़ें ..........‘ह’ ध्वनि – ध्यान विधि-2
इस सूत्र में बताई गई विधि कुछ हद तक खेचरी क्रिया और कुछ हद तक सोहम क्रिया से मिलती जुलती है | ऐसा भी कह सकते हैं कि यह इन दोनों का मिश्रण है |
आगे पढ़ें ..........‘ह’ ध्वनि – ध्यान विधि-1
इस क्रिया से शरीर और मन दोनों शांत हो जाते हैं और ध्यान बहुत आसानी से लग जाता है | गुस्सा छूमंतर हो जाता है और अधिक सोच भी कम होने लगेगी |
आगे पढ़ें ..........स्पर्श एवं निहार – ध्यान विधि
इस आनंद या ख़ुशी को अपने अंदर समाहित कर ध्यान पर बैठना है और उसी आनन्द को महसूस कर उस में खोना है | यह बहुत ही आसान विधि है, कोई भी कर सकता है |
आगे पढ़ें ..........निद्रा ध्यान विधि -3
इन दो सूत्र में बताई गई विधि अनुसार रात को सोने के समय पीठ के बल शव आसन (शरीरिक योगानुसार) में लेटें और सोने की कोशिश करें | अभ्यस्त होने पर आगे बढ़ें |
आगे पढ़ें ..........आध्यात्म
कर्म योग-भाग्य व इच्छाशक्ति
ब्रह्माण्ड में हर ग्रह की अपनी एक दशा और चाल है | चूँकि हमारा शरीर भी एक भौतिक वस्तु है | अतः हमारा शरीर भी ग्रह की तरह सब काम स्वयम कर रहा है |
आगे पढ़ें ..........कर्म-योग और विज्ञान-2
कण-कण में भगवान बसते हैं तो क्या अध्यात्म परमाणु यानि Atom के बारे में जानता था ? परमाणु कभी मरता नहीं है तो फिर हमारी मृत्यु कैसे हो जाती है ?
आगे पढ़ें ..........कर्म योग और विज्ञान
कोई वस्तु या चित्र देख मुँह से अनायास ही निकल जाता है कि किसने बनाया है तो फिर इस ब्रह्माण्ड के रचियता को कैसे भूल जाते हो | इसका रचियता भी तो होगा |
आगे पढ़ें ..........तंत्र-आध्यात्म-मनोविज्ञान – 3
तंत्र योग है और इससे भी बढ़ कर पूरे का पूरा विज्ञान है | इसे धर्म से जोड़ कर न देखे | हम विज्ञान को धर्म से नहीं जोड़ते वैसे ही इसे भी नहीं जोड़ना चाहिए |
आगे पढ़ें ..........तंत्र-आध्यात्म-मनोविज्ञान – 2
तंत्र की एक शाखा : ‘विज्ञान भैरव तंत्र’ में ‘ध्यान’ करने के बहुत आसान तरीके बताये गए हैं जिसे आध्यात्म और मनोविज्ञान में पिरो कर पेश करेंगे |
आगे पढ़ें ..........तंत्र-योग 1
तंत्र की मूल दृष्टि यह है कि पूरा ब्रह्माण्ड एक है | आज का विज्ञान कहता है कि हम सब 99.99 प्रतिशत atom से बने हैं और ब्रह्माण्ड भी ऐसा ही है |
आगे पढ़ें ..........प्रेम एवं सम्बन्ध
प्रेम, ध्यान, डर और सम्बन्ध
मीरा और राधा का प्रेम सच्चा प्रेम था | आप उसे इकतरफा प्रेम भी कह सकते हो | उनका प्रेम यदि अमर हो सकता है तो आपको सच्चा प्रेमी क्यों नहीं मिल सकता ?????
आगे पढ़ें ..........प्रेम : ख़ुशी, आनन्द और परमानन्द ?
आनन्द और परमानन्द में कोई ख़ास फर्क नहीं है | वह आनन्द जो लगातार बना रहे उसे परमानन्द कहते हैं | क्या आपकी जिन्दगी में ऐसा कोई आनन्द है ???
आगे पढ़ें ..........प्रेम, बुद्धि और मन
समाज में आपसी प्रेम कम होने का मुख्य कारण चारों तरफ फैला डर और घृणा का महौल है क्योंकि घृणा से घृणा और डर से डर आकर्षित होता है ............
आगे पढ़ें ..........प्रेम क्रोध और सम्बन्ध
प्रेम सोच-समझ कर नहीं किया जा सकता | प्रेम हो जाता है और वह किसी से भी हो सकता है | जरूरी नहीं कि प्रेम, प्रेमी और प्रेमिका के बीच ही हो |
आगे पढ़ें ..........प्रेम, आकर्षण और धोखा-8
अपनी असफलता का कारण किन्ही बाह्रय कारणों को मानते हैं तो भविष्य में आपकी सफलता के चांस लगभग शून्य हैं | क्योंकि कल जो कारण थे वही कल भी रहने वाले हैं |
आगे पढ़ें ..........प्रेम, प्यार और सम्बन्ध -7
आप भूतकाल या भविष्य से परेशान हो रहे हैं | और जो कुछ भी हो रहा है वह आपके मुताबिक नहीं हो रहा है | लेकिन आप इसमें एक काल तो भूल ही गये हैं | वर्तमान काल |
आगे पढ़ें ..........जीवन-शैली
कभी भूल कर भी न कहें या सोचें ?
आपने कभी सोचा कि हम जिस काम या बात या सोच को ‘न’ करने की सोचते हैं उतना ही उस काम या बात या सोच को क्यों जाने-अनजाने करते चले जाते हैं ?
आगे पढ़ें ..........नवरात्र – 2
दोस्तों, एक बात याद रखिये कि आप शक्ति से सम्पर्क साधना चाहते हैं | आप अपने अंदर और आस-पास positivity लाना चाहते हैं | शक्ति को आप में कोई interest नहीं है |
आगे पढ़ें ..........नवरात्र – 1
रोजमर्रा की जिन्दगी में लगभग हम सब कुछ शरीर से बाहर करते हैं और नवरात्र में भी वही करते हैं | आइये इस नवरात्र से कुछ नया शुरू कर आगे बढ़ते हैं...
आगे पढ़ें ..........उत्साह/जोश कैसे बढायें
Enthusiasm/उत्साह/जोश केवल शैक्षिक विषय नहीं है यह रोजमर्रा की ज़िन्दगी से जुड़ा हुआ शब्द है | अतः ऐसे विषय को व्यवहारिक तरीके से समझना और समझाना चाहिए |
आगे पढ़ें ..........व्यक्तित्व विकास कैसे करें
व्यक्तित्व विकास या सफलता पाने के लिए आपके अंदर दृढ़ता अर्थात किसी भी काम को करने की इच्छा तीव्र हो | यह तभी होगा जब मन में भटकन लेश मात्र न हो |
आगे पढ़ें ..........व्यक्तित्व विकास – 2
आप जल्द सफलता पाना चाहते हैं जबकि आप लगातार असफल हो रहे हैं या नकारात्मक सोच रखते हैं या हर बात में नकारात्मकता दिखती है तो ये लेख पढ़ें |
आगे पढ़ें ..........प्रेरक कहानियाँ
बेमतलब का रिश्ता
आज लगभग हर रिश्ते में चाहते न चाहते हुए भी खिंचाव या दरार आने लगी है | यह खिंचाव या दरार क्यों और कैसे पनपती है और इसका क्या हल है ? आइये जानें..
आगे पढ़ें ..........रहस्यमय ज़िन्दगी
आपको सुंदर और अच्छे रैपर में लिपटा गिफ्ट, पहली बार मिला व्यक्ति, सस्पेंस वाली फिल्म या कहानी क्यों उत्साहित करती हैं ? आइये इसी सोच पर आधारित कहानी पढ़ते हैं |
आगे पढ़ें ..........सबक तो सिखाना होगा
प्रेम में झूठे वादे करना या बहुत समय बाद अचानक सच्चाई बता कर अलग हो जाना धोखा है इसमें कोई शक नहीं | ऐसे लोगों को सबक जरूर सिखाना चाहिए |
आगे पढ़ें ..........नजरिया अपना-अपना
बहुत बार लक्ष्य तो आप ठीक चुनते हैं लेकिन रास्ता दूसरों को देख कर अपनाते हैं जिस कारण आपको लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती | आइये इस सोच पर आधारित कहानी पढ़िए |
आगे पढ़ें ..........शेर की तरह जीना सीख लिया
शरीरिक और मानसिक बल की भी एक सीमा है और हम यदि अपनी सीमा पहचान कर आगे बढ़ते हैं तो हमारी उड़ान असीमित हो जाती है | इसी सोच पर आधारित ये कहानी पढ़िए |
आगे पढ़ें ..........