कर्म योग-भाग्य व इच्छाशक्ति

ब्रह्माण्ड में हर ग्रह की अपनी एक दशा और चाल है | चूँकि हमारा शरीर भी एक भौतिक वस्तु है | अतः हमारा शरीर भी ग्रह की तरह सब काम स्वयम कर रहा है |

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कर्म-योग और विज्ञान-2

कण-कण में भगवान बसते हैं तो क्या अध्यात्म परमाणु यानि Atom के बारे में जानता था ? परमाणु कभी मरता नहीं है तो फिर हमारी मृत्यु कैसे हो जाती है ?

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कर्म योग और विज्ञान

कोई वस्तु या चित्र देख मुँह से अनायास ही निकल जाता है कि किसने बनाया है तो फिर इस ब्रह्माण्ड के रचियता को कैसे भूल जाते हो | इसका रचियता भी तो होगा |

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तंत्र-आध्यात्म-मनोविज्ञान – 3

तंत्र योग है और इससे भी बढ़ कर पूरे का पूरा विज्ञान है | इसे धर्म से जोड़ कर न देखे | हम विज्ञान को धर्म से नहीं जोड़ते वैसे ही इसे भी नहीं जोड़ना चाहिए |

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तंत्र-आध्यात्म-मनोविज्ञान – 2

तंत्र की एक शाखा : ‘विज्ञान भैरव तंत्र’ में ‘ध्यान’ करने के बहुत आसान तरीके बताये गए हैं जिसे आध्यात्म और मनोविज्ञान में पिरो कर पेश करेंगे |

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तंत्र-योग 1

तंत्र की मूल दृष्टि यह है कि पूरा ब्रह्माण्ड एक है | आज का विज्ञान कहता है कि हम सब 99.99 प्रतिशत atom से बने हैं और ब्रह्माण्ड भी ऐसा ही है |

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