आइये मैडिटेशन सीखें भाग – 4
अब साँस की वह विधि बताते हैं जिस से आपका अधिक सोच, गुस्सा, अनिद्रा और अन्य प्रकार की मानसिक और शरीरिक बिमारी से पीछा छूट जायेगा और ध्यान भी लगेगा |
अब साँस की वह विधि बताते हैं जिस से आपका अधिक सोच, गुस्सा, अनिद्रा और अन्य प्रकार की मानसिक और शरीरिक बिमारी से पीछा छूट जायेगा और ध्यान भी लगेगा |
जब मैडिटेशन के लिए बैठते हैं तो पहले शरीर और फिर अवचेतन मन आपको परेशान करता है | हमें अवचेतन मन के पार जाना होता है और ज्यादात्तर यही अटक जाते हैं |
वह इंसान जो वर्तमान में रहते हैं | जिन्हें कोई मानसिक बिमारी या शरीरिक बिमारी नहीं है | केवल वह ही मैडिटेशन सीधे तौर पर शुरू कर सकते हैं या करना चाहिए |
इन सब से अलग हमारे आज के निजी जीवन में ध्यान का अर्थ हर किसी के लिए अलग है | कुछ ध्यान का अर्थ मन को शांत करना मानते है... यह जानते हुए कि.....
विज्ञान भैरव तंत्र में बताई गई 112 विधि उनके लिए हैं जो शरीर के रास्ते ध्यान लगाना चाहते हैं | जो प्रेमी हैं उनके लिए प्रेम ही ध्यान मार्ग है |
तंत्प्रेर कहता है कि प्रेम स्वयम ही ध्यान है जिससे ईश्वर तक खिंचे चले आते हैं | शरीर की जरूरत केवल उन्हें है जो प्रेम को जगाने में असफल हैं |