वजन शून्य – ध्यान विधि-2
वजन-शून्य होने पर आपका, सोच से भी पीछा छूट जाता है क्योंकि वह भी शरीर का हिस्सा है और अब आपका शरीर आपके साथ नहीं है | बल्कि अब आप आत्मा के साथ हैं |
वजन-शून्य होने पर आपका, सोच से भी पीछा छूट जाता है क्योंकि वह भी शरीर का हिस्सा है और अब आपका शरीर आपके साथ नहीं है | बल्कि अब आप आत्मा के साथ हैं |
वजन-शून्य होने पर आपका, शरीर और सोच दोनों से सम्बन्ध टूट जाता है | ध्यानावस्था में शरीर और सोच ही सबसे बड़े बाधक है और अब आपका शरीर आपके साथ नहीं है |
इस सूत्र में बताई गई विधि कुछ हद तक खेचरी क्रिया और कुछ हद तक सोहम क्रिया से मिलती जुलती है | ऐसा भी कह सकते हैं कि यह इन दोनों का मिश्रण है |
इस क्रिया से शरीर और मन दोनों शांत हो जाते हैं और ध्यान बहुत आसानी से लग जाता है | गुस्सा छूमंतर हो जाता है और अधिक सोच भी कम होने लगेगी |
इस आनंद या ख़ुशी को अपने अंदर समाहित कर ध्यान पर बैठना है और उसी आनन्द को महसूस कर उस में खोना है | यह बहुत ही आसान विधि है, कोई भी कर सकता है |
इन दो सूत्र में बताई गई विधि अनुसार रात को सोने के समय पीठ के बल शव आसन (शरीरिक योगानुसार) में लेटें और सोने की कोशिश करें | अभ्यस्त होने पर आगे बढ़ें |