विज्ञान भैरव तंत्र – सूत्र- 51
इस विधि को अपनाने पर कुछ समय बाद आप महसूस करेंगे कि आप और वह काम करने वाला इंसान दोनों अलग हैं | इस से आपकी काम करने में एकाग्रता भी बढ़ेगी |
इस विधि को अपनाने पर कुछ समय बाद आप महसूस करेंगे कि आप और वह काम करने वाला इंसान दोनों अलग हैं | इस से आपकी काम करने में एकाग्रता भी बढ़ेगी |
जब आप लेट कर यह क्रिया करते हैं तब आपका ध्यान और साँस का केंद्र अनाहत यानि हृदय या हार्ट चक्र हो गया है | यहाँ से आपकी आगे की यात्रा शुरू होती है |
इस सूत्र का दूसरा भाग - धीरे-धीरे लम्बी और गहरी साँस लेने पर दिमाग यानि मन की गति अपने आप धीमे होने लगेगी और फिर मन गायब हो जाता है |
इस विधि में आप आज्ञा चक्र यानि तीसरी आँख या अनाहत यानि हृदय चक्र या फिर विशुद्ध चक्र यानि थ्रोट चक्र पर ध्यान लगा कर शुरुआत कर सकते हैं |
इस विधि को करते हुए जब आप दर्शक बन जाते हैं तब सब कुछ रुक जाता है | असल में वह रुकता नहीं है बल्कि वह तीसरी आँख की शक्ति में परिवर्तित हो जाता है |
तीसरी आँख या आज्ञा चक्र को सक्रिय करने से पहले कुछ जरूरी बातें जानना बहुत जरूरी है ताकि बाद में आपको कोई परेशानी न आये जैसे बुरी सोच छोड़ना होगा |